यह कैसा लोकतंत्र जिसमें मिटा दिया जनतंत्र

What kind of democracy is this in which democracy was destroyed

यह कैसा लोकतंत्र जिसमें मिटा दिया जनतंत्र
अम्बेडकर समाज पार्टी द्वारा आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में वक्ताओं ने रखी  अपनी बात

नई दिल्ली – 74 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर अंबेडकर समाज पार्टी और फोरम अगेंस्ट मॉब लिंचिंग एंड इन जस्टिस द्वारा राजा राममोहन हॉल, आईटीओ दिल्ली में आयोजित एक दिवसीय सम्मेलन में वर्तमान लोकतांत्रिक व्यवस्था पर चिंता व्यक्त करते हुए केंद्रीय सरकार और सरकार के सहयोगी संगठनों पर संविधान की भावना को नष्ट करने का आरोप लगाया गया।
अंबेडकर समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भाई तेज सिंह ने कहा कि देश में मौजूद असमानता की व्यवस्था के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने की जरूरत है और इस्लाम की समतावादी व्यवस्था को समाज में पूरी तरह से लागू करने की जरूरत है.दलित और आदिवासी हिन्दू नहीं हैं. ।मुसलमानों का भय दिखाकर हमें हिन्दू बनाने का प्रयास किया जा रहा है , जो हमें अस्वीकार्य है।संविधान की रक्षा और उसकी सर्वोच्चता के लिए समाज में जागरुकता लाना और संविधान विरोधी आन्दोलन को कमजोर करना ही हमारे  जीवन का  उद्देश्य है।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता महमूद पाराचा ने कहा कि समाज में संविधान विरोधियों और समर्थकों के बीच एक लंबी रेखा खींचने की कोशिश करनी चाहिए।जिससे ये अस्पष्ट हो सके की कौन किस ख़ेमे मैं है।
इंडियन नेशनल लीग के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर मुहम्मद सुलेमान ने कहा कि यदि पिछली सरकारों ने ईमानदारी से संविधान का पालन किया होता तो देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था आज बहुत बेहतर होती और शायद हमारी पीढ़ियां देश के निर्माण और विकास में अपनी ऊर्जा लगातीं।
वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि वर्षों  से जेल में बंद निर्दोष दलित मुस्लिम व आदिवासी समाजसेवी अपनी रिहाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन मौजूदा लोकतांत्रिक व्यवस्था में उनकी रिहाई असंभव नजर आ रही है. देश और समाज के लिए बोलना और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए प्रयास करना खुद को खतरे में डालने के बराबर लगता है।
सुश्री यासमीन फ़ारूक़ी ने कहा कि हमारे पास जो डेटा है वह इस बात पर मुहर लगाने के लिए पर्याप्त है कि पिछली सरकारों और वर्तमान केंद्र सरकार ने जानबूझकर मुसलमानों और दलितों को निशाना बनाया है और यह सामाजिक न्याय के लिए एक रोड़ा है।कश्मीर की शिकायत करने वालों को स्पष्ट जवाब देते हुए, उन्होंने कहा कि मुसलमानों और दलितों की शहादत कश्मीरियों की शहादत से कई गुना ज्यादा है।
यूनाइटेड  मुस्लिम मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हाफिज गुलाम सरवर ने कहा कि अगर पंडित नेहरू ईमानदार होते तो संविधान के अनुच्छेद ३४१  पर धार्मिक प्रतिबंध नहीं लगाते वहीं से संविधान मैं छेड़ छाड़ और संविधानिक मूल्यों को नज़र अंदाज़ करने का सिलसिला निरंतर जारी है उन्होंने भाई तेज सिंह समेत तमाम बहुजन नेताओं से आपसी भेद भाव मिटा कर एक होने की अपील की। सम्मेलन में अनेक सामाजिक-राजनीतिक हस्तियों एवं अन्य लोगों ने भाग लिया।

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