अब भूखे और सूखे पाकिस्तान के लोगों को भी महसूस हो रही है मोदी जी की जरूरत

Now the people of hungry and dry Pakistan are also feeling the need of Modi ji.

अब भूखे और सूखे पाकिस्तान के लोगों को भी महसूस हो रही है मोदी जी की जरूरत

नई दिल्ली-19 जनवरी 2023: भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सदस्य हज कमेटी आफ़ इंडिया तथा पसमांदा मुस्लिम समाज उत्थान समिति संघ के मुख्य संरक्षक इरफान अहमद ने कहा है कि आज पाकिस्तान भयानक दौर से गुजर रहा है। वहां के लोग दाने दाने के लिए मोहताज हैं। पाकिस्तान के हिस्से वाले कश्मीर के लोग भारत में शामिल होने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। अब पाकिस्तान के लोगों को भी मोदी जी जैसे पीएम की जरूरत महसूस हो रही है।
आज एक बयान में इरफान जी ने कहा कि आजकल पाकिस्तान के जैसे हालात हैं, मेरी याददाश्त में भारत या हमारे पड़ौसी देशों में ऐसे हाल न मैंने कभी देखा और न ही सुना। हमारे अखबार पता नहीं क्यों, उनके बारे में न तो खबरें विस्तार से छाप रहे हैं और न ही उनमें उनके फोटो देखे छापे जा रहे हैं लेकिन हमारे टीवी चैनलों ने कमाल कर रखा है वे जैसे-तैसे पाकिस्तानी चैनलों के दृश्य अपने चैनलों पर आजकल दिखा रहे हैं उन्हें देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं, क्योंकि पाकिस्तानी लोग हमारी भाषा बोलते हैं और हमारे जैसे ही कपड़े पहनते हैं। वे जो कुछ बोलते हैं, वह न तो अंग्रेजी है न रूसी है, न यूक्रेनी न अरबी न फारसी। वह तो हिंदुस्तानी ही हैं उनकी हर बात समझ में आती है उनकी बातें, उनकी तकलीफें, उनकी चीख-चिल्लाहटें उनकी भगदड़ और उनकी मारपीट दिल दहला देने वाली होती है।
इरफान जी ने कहा कि गेहूं का आटा वहां 250-300 रु. किलो बिक रहा है वह भी आसानी से नहीं मिल रहा है। बूढ़े, मर्द, औरतें और बच्चे पूरी-पूरी रात लंबी-लंबी लाइनों में लगे रहते हैं और ये लाइनें कई फर्लांग लंबी होती हैं। वहां ठंड शून्य से भी काफी नीचे होती है। आटे की कमी इतनी है कि जिसे उसकी थैली मिल भी जाती है, उसे भी छीनने के लिए कई लोग बेताब होते हैं इसी मार पीट, खींचातानी में कई लोग अपनी जान से भी हाथ धो बैठते हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पंजाब को गेहूं का भंडार कहा जाता है लेकिन सवाल यह है कि बलूचिस्तान और पख्तूनखवा के लोग आटे के लिए क्यों तरस रहे हैं? यहां सवाल सिर्फ आटे और बलूच सिंधी या पख्तून लोगों का ही नहीं है पूरे पाकिस्तान का है पूरे पाकिस्तान की जनता त्राहिमाम-त्राहिमाम कर रही है, क्योंकि खाने-पीने की हर चीज के दाम आसमान छू रहे हैं। गरीब लोगों के तो क्या मध्यम वर्ग के भी पसीने छूट रहे हैं। बेचारे शाहबाज़ शरीफ प्रधानमंत्री क्या बने हैं, उनकी शामत आ गई है। वे सारी दुनिया में झोली फैलाए घूम रहे हैं। विदेशी मुद्रा का भंडार सिर्फ कुछ हफ्तों का ही बचा है। यदि विदेशी मदद नहीं मिली तो पाकिस्तान का हुक्का-पानी बंद हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि अमेरिका, यूरोपियन देश और सउदी अरब ने मदद जरुर की है लेकिन पाकिस्तान को कर्जे से लाद दिया है। ऐसे में कई मित्रों ने मुझसे पूछा कि भारत चुप क्यों बैठा है? भारत यदि अफगानिस्तान, श्रीलंका और यूक्रेन को हजारों टन अनाज और दवाइयां भेज सकता है तो पाकिस्तान को क्यूँ नहीं जबकी पाकिस्तान उसका एकदम पड़ौसी है। मैंने उनसे जवाब में पूछ लिया कि क्या पाकिस्तान ने कभी पड़ौसी का धर्म निभाया है? फिर भी मैं मानता हूं कि नरेंद्र मोदी जी इस वक्त पाकिस्तान की जनता (उसकी फौज और शासकों के लिए नहीं) की मदद के लिए हाथ बढ़ा दें तो यह उनकी एतिहासिक और अपूर्व पहल मानी जाएगी और पूरी दुनिया उनको इस मदद पर मसीहा मानेगी जो मानवता के काम करने के लिए उनको विश्वगुरु मानेगी। पाकिस्तान के कई लोगों को टीवी पर मैंने कहते सुना है कि इस वक्त पाकिस्तान को एक “मोदी” चाहिए। उन्होंने कहा कि लेकिन यहां भारत की कुछ जमात को मोदी पसंद नहीं क्योंकि उन लोगों को पाकिस्तान का अनुभव नहीं है।उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अखंड भारत की जो परिकल्पना की थी उसकी प्रासंगिकता अब समझ में आ रही है। पहले मुगलों ने अत्याचार करके जबरदस्ती धर्म परिवर्तन किया और उसके बाद कुछ स्वार्थी राजनीतिज्ञों ने भारत को खंडित कर दिया !!

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