उत्तर काशी मुद्दे पर मोर्चा की प्रेस कांफ्रेंस
प्रधानमंत्री को ज्ञापन सौंपकर अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की मांग की
नई दिल्लीः दिल्ली स्थित राष्ट्रीय कार्यालय में आल इंडिया मुस्लिम मोर्चा के बैनर तले पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता हाफिज गुलाम सरवर ने कहा कि मौजूदा हालात में भारतीय मुसलमानों की सबसे बड़ी समस्या सुरक्षा है. यह आज सबसे बड़ी समस्या के रूप में सामने आया है, लेकिन देखा जाए तो समस्या हमेशा नंबर वन पर रहा है और लोकतंत्र के इन75वर्षों में मुसलमानों ने हमेशा अपनी जान-माल की रक्षा के मुद्दे पर ही वोट दिया है।
उन्होंने कहा कि शिक्षा, रोजी-रोटी या राजनीति में भागीदारी का मसला भले ही ज्यादा दिख रहा हो, लेकिन जिस राजनीतिक दल को इस देश की रक्षा में चैंपियन के रूप में देखा जाता था, उसे वोट देने का काम किया जाता था.समाजवादियों की सरकार रही हो या वामपंथीयों की कांग्रेस की या और किसी की तस्वीर हमेशा एक जैसी रही अल्पसंख्याकों को आश्वासन. भाषण. और राशन. के सेवा कुछ नही मिला । उनका कहना था कि राष्ट्रीय राजनीतिक दलों के शासन में यह समस्या अधिक चुनावी होती जा रही है। हाँ, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। जिन दलों ने धर्मनिरपेक्षता की आड़ में सरकारें चलाई हैं, उन्होंने मुसलमानों को निश्चित रूप से राहत दी, लेकिन केवल मौखिक,सुरक्षा के नाम पर और कानूनी सुरक्षा के नाम पर नहीं। मुस्लिम प्रतिनिधियों द्वारा इस मुद्दे पर कभी गंभीरता नही दिखाई गई मौखिक सुरक्षा पर भरोसा करते रहे पहले दलितों की भी यही स्थिति थी और फासीवादी शक्तियों की हिंसा के शिकार मुस्लिम और दलित दोनों होते थे!लेकिन दलितों को कानूनी सुरक्षा मिलने के बाद हालात बेहतर हुए. ऐसे में ऑल इंडिया यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा चाहती है की दंगा फसाद पर स्थाई रोक लगाने के लिए मुसलमानों को भी कानूनी सुरक्षा प्रदान किया जय. मुसलमानों को जहां अब तक धोखे में रखा गया है, वहीं उत्तराखंड समेत देश के अन्य हिस्सों में मुसलमानों के खिलाफ हिंसा आम बात हो गई है। मौजूदा हालात को देखकर लगता है कि बिना कानूनी सुरक्षा व्यवस्था के इस पर लगाम कसना मुश्किल है इसलिए मोर्चा सरकार से मांग करता है कि मुस्लिमों को एससी, एसटी एक्ट में शामिल किया जाए या ऐसा ही कोई और कानून बनाया जाए।
हाफिज गुलाम सरवर ने संवाददाताओं से कहा कि हमने उत्तर काशी के मुद्दे पर प्रधानमंत्री को पत्र भी भेजा है और धामी से राज धर्म की रक्षा के बारे में भी पूछा है.