दिल्ली प्रेस वार्ता में डॉ भरत भूषण वर्मा का संकल्प
नई दिल्लीः वसई, जिल्a पालघर, महाराष्ट्र का ग्रामीण शहर है, अभी हाल ही में वर्ष 2009 में क्षेत्रीय विकास कार्यो के नियोजन के लिए वसई विरार शहर महानगरपालिका का गठन हुआ। आरोप है कि वसई विरार शहर महानगरपालिका के गठन के बाद से मनपा आयुक्त की कुर्सी पर आए IAS अधिकारियों ने शहर नियोजन का कार्य छोड़कर अवैध बांधकाम का षड्यंत्र शुरू कर दिया। मामले की स्थिति ऐसी है की, सरकारी, गैर सरकारी और खाजगी जमीनों पर जबरन कब्जा कर बिल्डर अवैध निर्माण धड़ल्ले से कर रहे है और मनपा आयुक्त मूक दर्शक बनने का स्वांग कर रहे है ये बातें दिल्ली मैं एक प्रेस वार्ता में डॉ भरत भूषण वर्मा ने कही। इस अवसर पर मोहम्मद आरिफ ,डॉ म एम यू दुआ और हाफिज ग़ुलाम सरवर भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि आरोप यह भी है कि क्षेत्र में 14 वर्षो में औसतन 70 बांधकाम रोजाना के अनुसार अंदाजे 4 लाख अवैध निर्माण हुआ है और मनपा आयुक्त ने रु 250-5000 रुपये प्रति चौ.फुट. के हिसाब से काला धन जमा कर रहे है। इस प्रक्रिया में निर्दोष नागरिको के संवैधानिक मूलाधिकार कुचले जा रहे, अपराधी भ्रष्ट अधिकारियों के साथ मिलकर जबरन उन्हें अन्याय सहन करने के लिए मजबूर कर रहे है। आरोप यह भी है कि इस प्रकरण में न्यायायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग भी हो रहा है और पीड़ितों की कही कोई सुनवाई नही हो रही है। राज्य सरकार मामले की गंभीरता को अनदेखा कर मूक दर्शक की भूमिका का लुफ्त उठा रही है। लोकायुक्त महाराष्ट्र पर भी गंभीर आरोप लगाए जा रहे है!
मामला गंभीर इसलिए भी है क्यों कि आंदोलनकर्ताओं ने वसई, महाराष्ट्र से नई दिल्ली 1278 कि.मी. का सफर पैदल चलते हुए 30 दिनों में पूरा किया। इंसाफ के लिए भारत मे इतना कठिन परिश्रम, तप वो भी मई और जून माह की तपती गर्मी में पूरा किया। आंदोलन कर्ताओ को उम्मीद थी कि केंद्र सरकार उनके सबूतों को देखेगी और न्यायसंगत कारवाई होगी। लेकिन सचिव, भारत सरकार, प्रधानमंत्री कार्यालय के पास विनती लगाए इंतजार कर रहे आन्दोलनकर्ता जवाब नही आने से रुष्ट होकर उन्होंने दिनांक २१-७-२०२३ से आमरण उपोषण आंदोलन, जंतर मंतर मैदान पर प्रस्तावित किया है। पोलिस, सरकार और कोर्ट से निराश होने के बाद अब न्याय की लड़ाई, भ्रष्टाचार के खिलाफ सड़क पर होने जा रही है|