नूंह हिंसा पर एपीसीआर रिपोर्ट रिलीज़ : न्याय की मांग के साथ दंगा पीड़ित लोगों के लिए मुआवज़े की अपील
नई दिल्ली, 9 अगस्त, 2023 – नूंह और अन्य जिलों में हाल की हिंसा के मद्देनजर, एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में कई प्रमुख व्यक्ति अपनी चिंताओं को व्यक्त करने, टिप्पणियों को साझा करने और प्रभावित लोगों के लिए न्याय की मांग करने के लिए कल, 9 अगस्त, 2023 को जवाहर भवन, नई दिल्ली में एपीसीआर के साथ आगे आए हैं।
एडवोकेट रमजान चौधरी, सामाजिक कार्यकर्ता, नूंह: एडवोकेट रमजान चौधरी ने मेवात में ऐतिहासिक सांप्रदायिक सौहार्द पर प्रकाश डालते हुए आजादी के बाद क्षेत्र में विकास की उपेक्षा पर जोर दिया। उन्होंने मेवात के खिलाफ चल रही साजिशों की ओर इशारा किया और बिट्टू बजरंगी और मोनू मानेसर जैसे व्यक्तियों का नाम लेते हुए इशारा किया कि हाल की हिंसा शांति को बाधित करने वाले तत्वों द्वारा भड़काई गई है।
एडवोकेट ताहिर हुसैन देवला, पूर्व अध्यक्ष, डिस्ट्रिक्ट बार नूंह: हाल की हिंसा के लिए सरकारी साजिश का आरोप लगाते हुए, एडवोकेट देवला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे प्रशासन ने हिंसक झड़पों के लिए उकसावे पुनेः सूचना को नज़र अंदाज़ किया। उन्होंने मनमाने ढंग से की गई गिरफ्तारियों के उदाहरण साझा किए, जिनमें हिंसा वाले दिन ताज महल घूमने गए लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, मेवात में एक गंभीर स्थिति सामने आई जिसमे घरों और बच्चों को निशाना बनाया जा रहा है।
मृतक इमाम साद के भाई शादाब अनवर: हिंसा में जान गंवाने वाले इमाम साद के भाई शादाब अनवर ने अपने भाई की मौत के लिए न्याय की मांग की है. उन्होंने अपराधियों की गिरफ्तारी और सजा के साथसाथ हरियाणा सरकार से मुआवजा और बिहार सरकार से रोजगार के अवसर की भी मांग की।
सबा गुरमत, स्वतंत्र पत्रकार: सबा गुरमत ने हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों की चिंताजनक दुर्दशा पर प्रकाश डाला। उन्होंने भय-प्रेरित माहौल के बारे में चिंता व्यक्त की, जिसके कारण एक पक्ष के लोग एफआईआर दर्ज करने में झिझक रहे हैं। गुरमत ने महिलाओं के साथ पुलिस के दुर्व्यवहार, बलात्कार की झूठी अफवाहें और इंटरनेट शटडाउन के माध्यम से आवाजों के दमन की घनाओं की ओर इशारा किया।
डॉ. ओम प्रकाश धनखड़, समन्वयक, अखिल भारतीय खाप पंचायत: डॉ. धनखड़ ने चर्चा की कि कैसे हाल की घटनाएं सरकारी साजिश को दर्शाती हैं और उनके खिलाफ दर्ज मामलों में राजनीति की भूमिका पर अफसोस जताया। उन्होंने हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए समाज के भीतर एकता और सतर्कता की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने नूंह और हरियाणा के अन्य जिलों में हुई हिंसा को हमारे समय की दुर्भाग्यपूर्ण त्रासदी बताया।
नदीम खान, राष्ट्रीय सचिव, एपीसीआर: नदीम खान ने एपीसीआर के तथ्यखोज प्रयासों में अंतर्दृष्टि प्रदान की, जिससे पता चला कि हाल के दंगे अनायास नहीं थे। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न घटनाओं के माध्यम से दंगों के व्यवस्थित आयोजन का खुलासा किया, जुलूसों में हेरफेर और वीडियो में दिखाए गए पूर्वाग्रहों पर प्रकाश डाला। खान ने अधिकारियों से एफआईआर दर्ज करने का आग्रह किया और न्याय के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर करने के अपने इरादे की घोषणा की।
प्रोफेसर अपूर्वानंद, दिल्ली विश्वविद्यालय: प्रोफेसर अपूर्वानंद ने नूंह में फैक्ट फाइंडिंग करने के लिए एपीसीआर का आभार व्यक्त किया। उन्होंने झूठ फैलाने के लिए मुख्यधारा मीडिया की आलोचना की और तथ्य-खोज के महत्व पर जोर दिया। अपूर्वानंद ने हिंसा की तैयारियों और नापाक उद्देश्यों के लिए जुलूसों से समाज में उन्माद फैलने में प्रशासन की भागीदारी का उल्लेख किया।
मोहम्मद अदीब, पूर्व संसद सदस्य, राज्यसभा: अदीब ने कुछ समूहों के साथ पुलिस की मिलीभगत और पिछले नौ वर्षों से एक सक्षम प्रधान मत्री की कमी पर चर्चा की। उन्होंने अदालतों में अन्याय के खिलाफ खड़े होने का वादा करते हुए न्याय के लिए लड़ने की जरूरत पर ज़ोर दिया। अदीब ने अन्याय के खिलाफ एकता के साथ चुप्पी तोड़ने और आने वाली चुनौतियों का सामना करने