एसईआरएफ रिसर्च रिपोर्ट में दावा
बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का उल्लेख नहीं
इंजीनियर अफ्फ़ान नोमानी
(रिसर्च स्कॉलर , एसईआरएफ इंडिया )
शाहीन एजुकेशनल एंड रिसर्च फाउंडेशन ( एसईआरएफ ) के रिसर्च स्कॉलर इंजीनियर अफ्फ़ान नोमानी द्वारा जारी रिसर्च रिपोर्ट में बताया कि बाबरनामा और आइन-ए-अकबरी सहित अन्य एतिहासिक किताब में मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का उल्लेख नहीं है. इंजीनियर अफ्फ़ान नोमानी ने अपने ऑफिसियल यूट्यूब चैनेल अफ्फ़ान नोमानी ऑफिसियल पर संभल मस्जिद के सन्दर्भ में हिन्दुत्वादी द्वारा लगाएं गए झूठे आरोप और दावे को बेबुनियाद और निराधार बताया. अपने रिसर्च एपिसोड में इंजीनियर अफ्फ़ान नोमानी ने विभिन्न इतिहासिक किताबों के पेज न. सहित विस्तार से खंडन किया और हिन्दुत्वादी के दावे को निराधार करार दिया. गौरतलब हो कि संभल जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने दावा किया कि – बाबर ने 1529 में हरिहर मंदिर को तोड़कर मस्जिद में तब्दील किया गया. दावे का आधार – बाबरनामा के पेज न. 687 व आइन -ए -अकबरी के पेज न. 281 का हवाला देते हुवे कहा कि इन दो किताबो में साफ़ जिक्र है कि -मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गयी है. आचार्य प्रमोद कृष्णम जो एक वक्त मुस्लिम संगठनों के दुलारे थे , आज वह भी आइन -ए -अकबरी व बाबरनामा के हवाले देते हुवे मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा कर रहे है .
इस पर इंजीनियर अफ्फ़ान नोमानी ने कहा कि पहली बात – आइन -ए -अकबरी के पेज न. 281 ( जो मेरे पास हिंदी व अंग्रेजी दोनों मौजूद है ) में ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है कि – मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गयी है. यह सो फीसद गलत बात है. आइन -ए -अकबरी जो अबुल फज़ल अल्लामी ने फ़ारसी में लिखा है उनमे में ऐसा कुछ नहीं लिखा है जो हिन्दुत्वादी दावा कर रहे है. वास्तव में आईने अकबरी अकबरनामा का तृतीय भाग है. अकबरनामा के प्रथम भाग में अबुल फज़ल ने तैमूर वंश के इतिहास और बाबर सुर सुल्तानों और हुमायूँ के शासन कल का वर्णन है. दूसरे भाग में अकबर के शासनकल का विवरण है. तीसरे भाग में ( आइन -ए -अकबरी ) में अकबर के राज्य काल के विषय में है.
आइन -ए -अकबरी को लेखक अबुल फज़ल ने पांच भाग में बाटा है. पहले भाग में अकबर के परिवार , दरबार और स्वंय उसका वर्णन है. दूसरे भाग में राजकर्मचारियों सैनिको के बारे में है .तीसरे भाग में न्याय विभाग , भूमि की नाप वगैरह के बारे में है. चौथे भाग में हिन्दुओ के साहित्य , ज्योतिष तथा दर्शन आदि का संक्षिप्त उल्लेख है. पांचवे भाग में अबुलफज़ल ने सम्राट के नैतिक वाक्यों , उक्तियों और बुद्धिमतापूर्ण नियमों का संकलन किया है. आइन -ए -अकबरी के पांचों भागो के गहन अध्यन करने के बाद कहीं भी – मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का उल्लेख नहीं मिलता है .
आइयें अब देखते है बाबरनामा के पेज न. 687 को लेकर किये गए दावे की हकीकत को – जब हम बाबरनामा के पेज न. 687 के मूल पाठ को देखते है तो उसमे ऐसा कुछ भी नहीं लिखा है कि – मंदिर तोड़कर मस्जिद बनायी गई है.
बाबरनामा के मूल पाठ में ऐसा कुछ भी नहीं है, लेकिन बाबरनामा के अंग्रेजी अनुवादक ऐनेट बेबरेज ने सरारत करते हुवे अपने मन से फुटनोट जोड़कर यह लिखा कि – हो सकता है कि बाबर ने 933 हिजरी में मंदिर तोड़कर मस्जिद का निर्माण किया हो. यहाँ ‘हो सकता’ शब्द संदेह खड़ा करता है. फुटनोट का मतलब यह हुआ कि बाबर ने ऐसा कुछ नहीं लिखा है लेकिन अनुवादक ने अलग से जोड़ा , जिसका कोई सबूत ( स्त्रोत ) नहीं है. हालाँकि पंकज श्रीवास्तव ने अपने एक लेख में बीबीसी रिपोर्ट का हवाला देते हुवे लिखा है जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और प्रसिद्ध इतिहासकार हरवंश मुखिया ने इस फर्ज़ीवाड़े पर बात की है. उन्होंने कहा है कि ऐनेट बेबरेज को फुटनोट जोड़ने की आदत थी. उन्होंने यही काम अयोध्या के बारे में किया था. आइयें देखते है इस सन्दर्भ में दूसरे अन्य इतिहासकार ने क्या लिखा है –
मशहुर इतिहासकार प्रोफेसर श्रीराम शर्मा ने अपनी किताब मुग़ल एम्पायर ( पेज न. 55, प्रकाशित सन 1945) में लिखा है कि – ‘ हमे ऐसी कोई सबुत नहीं मिलता है कि बाबर ने मस्जिद तोड़कर मस्जिद बनवाई है. ‘पटना यूनिवर्सिटी के इतिहास के प्रोफेसर रह चुके रामप्रसाद खोसला अपनी किताब ‘मुग़ल किंग ‘ ( पेज न. 207, प्रकाशित सन 1934 ) में हिन्दुओ के किसी मंदिर को ध्वस्त कर मंदिर नहीं बनायीं गई है.
डॉ. वेद प्रकाश उपाध्याय ने अपनी किताब ‘कल्कि अवतार और हज़रत मोहम्मद ( सल्ल. )’ में बहुत मजबूत दलील से साबित कर दिया है कि -संभल ग्राम और कल्कि अवतार मक्का मुकर्रमा और हज़रत मुहम्मद (सल्ल. ) है और वह आ चुके है. उस लिहाज से संभल और कल्कि अवतार का ताल्लुक भारत से नहीं हो सकता है. इस तनाजुर में बात बहुत साफ़ है कि शाही जामा मस्जिद संभल एक हकीकत है. और मंदिर तोड़कर मस्जिद नहीं बनायीं गयी है.