वक़्फ़ संशोधन अधिनियम का मौजूदा मस्जिद, दरगाह और कब्रिस्तान जैसी संपत्तियों पर कोई प्रभाव नहीं !
भारत में वक़्फ़ संपत्तियों का विशेष महत्व है, क्योंकि ये मुस्लिम समाज की धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए समर्पित होती हैं। मस्जिदें, दरगाहें और कब्रिस्तान जैसी संपत्तियाँ वक़्फ़ की प्रमुख संपत्तियों में गिनी जाती हैं। हाल ही में वक़्फ़ अधिनियम में कुछ संशोधन किए गए हैं, जिससे समाज में भ्रम और चिंता का माहौल पैदा हुआ है। लेकिन यह स्पष्ट कर देना आवश्यक है कि यह संशोधन अधिनियम मौजूदा वक़्फ़ संपत्तियों पर कोई प्रभाव नहीं डालता।
केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर चर्चा के दौरान लोकसभा में कहा था कि इस विधेयक से किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह विधेयक किसी के अधिकार छीनने के लिए नहीं, बल्कि उन लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है जिन्हें पहले कभी अधिकार नहीं मिले। रिजिजू ने विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि विधेयक से संबंधित सभी चिंताओं को दूर किया जाएगा.
पिछले कुछ दिनों से कुछ अफवाहों और सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे भ्रामक संदेशों के कारण लोगों में भय उत्पन्न हुआ है कि उनकी धार्मिक संपत्तियाँ खतरे में हैं।जिसका जवाब देते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल ही में एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के संबंध में विपक्षी दलों द्वारा उठाए गए आशंकाओं को खारिज किया। रिजिजू ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक से किसी भी धार्मिक संस्था(मस्जिद ,दरगाह ,क़ब्रिस्तान अत्यादि ) की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा। उन्होंने कहा, “किसी के अधिकार छीनने की बात तो भूल ही जाइए, यह विधेयक उन लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है जिन्हें कभी अधिकार नहीं मिले।
वक़्फ़ अधिनियम में संशोधन का मुख्य उद्देश्य वक़्फ़ बोर्डों के कामकाज को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है। इसके अंतर्गत वक़्फ़ संपत्तियों की डिजिटल रजिस्ट्री, विवाद समाधान तंत्र की सशक्तिकरण, और भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के उपाय शामिल हैं। इन प्रयासों से वक़्फ़ संपत्तियों का बेहतर संरक्षण और प्रबंधन संभव हो सकेगा।
यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो मौजूदा मस्जिदों, दरगाहों या कब्रिस्तानों के अस्तित्व को प्रभावित करता हो। यह संशोधन केवल व्यवस्थागत सुधारों और प्रशासनिक प्रक्रियाओं को दुरुस्त करने के लिए लाया गया है, न कि किसी धार्मिक या पवित्र स्थल को हटाने, कब्जा करने या समाप्त करने के लिए, और मस्जिदें और दरगाहें केवल इबादतगाह नहीं हैं, बल्कि सामाजिक जीवन का केंद्र भी रही हैं। दरगाहें आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संवाद का स्थल रही हैं जहाँ हिन्दू-मुस्लिम दोनों समुदायों ने आस्था प्रकट की है। जैसे हजरत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह, दिल्ली जहाँ सभी धर्मों के लोग जाते हैं,अजमेर शरीफ़ की दरगाह जो भारत में सूफी परंपरा का प्रतीक है और राष्ट्रीय एकता की मिसाल मानी जाती है उसके इलावा देश मैं अनेक दरगाहें मौजूद हैं जहाँ सभी धर्मों के लोग जाते हैं .
निष्कर्ष
वक़्फ़ संशोधन अधिनियम का उद्देश्य वक़्फ़ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन और संरक्षण सुनिश्चित करना है। मौजूदा मस्जिदों, दरगाहों और कब्रिस्तानों पर इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं है। समाज को चाहिए कि वह शांति और सौहार्द बनाए रखे, और किसी भी प्रकार की अफवाहों से बचते हुए सही जानकारी पर भरोसा करे।
द्वारा – मोहम्मद शहाबुद्दीन। लेखक एक स्वतंत्र विचारक और इस्लामिक चिंतक है।