तेज प्रताप यादव को लालू प्रसाद यादव ने पार्टी से निकाला

तेज प्रताप यादव को RJD से 6 साल के लिए निष्कासित किया गया, पारिवारिक और नैतिक मूल्यों के उल्लंघन का आरोप

 

पटना: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और लालू प्रसाद यादव के ज्येष्ठ पुत्र तेज प्रताप यादव को पार्टी से 6 वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया है। इस आशय की जानकारी पार्टी की ओर से एक आधिकारिक बयान के माध्यम से दी गई, जिसमें तेज प्रताप के आचरण को पार्टी की विचारधारा और पारिवारिक मूल्यों के विरुद्ध बताया गया है।

बयान में कहा गया है कि, “निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूँ।”

बयान के अनुसार, तेज प्रताप अब न तो पार्टी में और न ही परिवार में किसी भूमिका में रहेंगे। पार्टी ने स्पष्ट कर दिया कि तेज प्रताप अब अपने निजी जीवन के फैसले स्वयं लें, और उनसे संबंध रखने वाले लोग भी अपने विवेक से निर्णय लें।

तेज प्रताप यादव, जो बिहार की राजनीति में एक रंगीन और अक्सर विवादास्पद शख्सियत रहे हैं, इस फैसले के बाद पहली बार पार्टी और परिवार दोनों से अलग-थलग पड़ गए हैं। यह निर्णय RJD के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ माना जा रहा है, जो पार्टी में अनुशासन और मूल्यों को लेकर सख्त रुख अपनाने का संकेत देता है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, तेज प्रताप के व्यवहार और हालिया गतिविधियाँ लंबे समय से नेतृत्व को असहज कर रही थीं। अंततः, पार्टी ने यह कठोर कदम उठाते हुए उन्हें 6 वर्षों के लिए निष्कासित कर दिया।

फिलहाल, तेज प्रताप यादव की प्रतिक्रिया का इंतजार किया जा रहा है।

लालू प्रसाद यादव ने अपने X अकाउंट से ये पोस्ट किया है।

निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमज़ोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतएव उपरोक्त परिस्थितियों के चलते उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूँ। अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी। उसे पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया जाता है।

अपने निजी जीवन का भला -बुरा और गुण-दोष देखने में वह स्वयं सक्षम है। उससे जो भी लोग संबंध रखेंगे वो स्वविवेक से निर्णय लें। लोकजीवन में लोकलाज का सदैव हिमायती रहा हूँ। परिवार के आज्ञाकारी सदस्यों ने सावर्जनिक जीवन में इसी विचार को अंगीकार कर अनुसरण किया है। धन्यवाद।

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