दलित संगठनों ने की मुसलमानों के लिए कानूनी सुरक्षा की मांग ,सौंपा ज्ञापन
नई दिल्ली:दलित मुस्लिम यूनाइटेड मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजीनियर डीसी कपिल के मार्गदर्शन में दिल्ली के जंतर-मंतर पर दलित मुस्लिम यूनाइटेड मोर्चा के बैनर तले एक दिवसीय धरना का आयोजन किया गया, ताकि दंगों और मोब लिंचिंग पर रोक लगाई जा सके। इस अवसर पर डी सी कपिल ने कहा कि दंगों और मोब लिंचिंग को रोकने के लिए प्रिवेंशन आफ एट्रो सिटी एक्ट में मुसलमानों को शामिल करना समय की मांग है। इन दिनों देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे नारे और एक के बाद हमले हो रहे हैं और उन्हें न्याय भी नहीं मिल पा रहा है। हाथ उठाने वाले अपराधियों को इस बात का एहसास है देश में अल्पसंख्यकों की विशेष सुरक्षा के लिए कोई कानून नहीं है, जिसके कारण वे हमला करते हैं और कानून से बच जाते हैं. उन्होंने कहा कि प्रिवेंशन एट्रो सिटी एक्ट में उन्हें शामिल करना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि पसमांदा मुसलमानों बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार बात कर रहे हैं. इस सांप्रदायिक हमले में सबसे ज़्यादा पसमांदा मुसलमान प्रभावित होते हैं, उनकी दुकानें और कारोबार नष्ट कर दिए जाते हैं।अगर मोदी जी पूरे मुसलमानों को उस एक्ट में शामिल नहीं कर सकते तो कम से कम पसमांदा मुसलमानों को ही शामिल कर लेना चाहिए उससे मोदी सरकार पर उनका विश्वास भी बढ़ेगा। 1989 से पहले दलितों और आदिवासियों की स्थिति समान थी, लेकिन उस समय की सरकार ने इन वर्गों को ज़ालिमों के हाथों से बचाने के लिए प्रिवेंशन आफ एट्रो सिटी एक्ट लाया। इस कानून के कारण वास दलित और आदिवासी अपने आप को सुरक्षित समझने लगे हैं, जबकि इस समय आम मुसलमान अपने आप को पूरी तरह से असुरक्षित मान रहा है। ऐसे में सरकार को उन्हें कानूनी सुरक्षा देनी चाहिए, इसलिए अल इंडिया दलित मुस्लिम यूनाइटेडमोर्चा सरकार से मांग कर रहा है कि मुसलमानों को भी इसी एक्ट में शामिल किया जाना चाहिए, इसके लिए किसी तरह की बहस या वोटिंग की जरूरत नहीं है. यदि प्रधानमंत्री चाहें तो अध्यादेश के माध्यम से एक बड़ा संदेश दिया जा सकता है, इस अवसर पर यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा राजेश घाघट, विनोद सांगत ,शब्बीर अहमद मंसूरी,अब्दुल हकीम हवारी ,एवं शहीद रंगरेज़ ने भी अपने विचार व्यक्त किये और प्रधानमंत्री से पसमांदा मुसलमानों पर विशेष ध्यान देने की अपील की।